कान्हा बनाम द्वारकाधीश
कान्हा बन राधा संग खेली प्रेम की होली
ये बंसी मुई होंठों से छुई गूंजी मीठी बोली
ब्रज की गलियां हों या राधा की सखियां सयानी
कान्हा वो सब हैं तुम्हारे मधुर प्रेम की दीवानी
जिस उंगली पर गोवर्धन उठा उत्पात से बचाया
उस उंगली पर क्यों तुमने सुदर्शन चक्र उठाया
प्रेम छोड़ कर क्यों तुम अर्जुन के सारथी बने
क्यों तुम पांडवों संग कुरुक्षेत्र के साक्षी बने
नही पुकारा एक बार भी राधा गीता के उपदेशों में
नही दिखा फिर प्रेम पुराना कान्हा तेरे संदेशों में
नही कोई मंदिर ऐसा जिसमें संग राधा न हो
राधे कृष्णा राधे कृष्णा बोलो कोई बाधा न हो
वीर कुमार जैन
18 सितंबर 2021