कान्हा मेरे घर आओ ना
बाल रूप मथुरा हरसायो,
नन्द के घर खुशियाँ लायो,
फिर खुशियाँ फैलाओ ना।
हर आलय विष व्याप्त हुआ,
कान्हा मेरे घर आओ ना।
रास रचा नेह पाठ पढ़ाया,
इन्द्र जी का गुमान हटाया,
कलयुग को यारी बताओ ना।
बन मीत सुदामा उध्दार करो,
कान्हा मेरे घर आओ ना।
सभा बीच तुम लाज बचाये,
अनेति का धड़ गर्दन से उड़ाये
कौरवों से चीर छुड़ाओ ना।
लाज लुटे अब विपदा बड़ी,
कान्हा मेरे घर आओ ना।
दुष्टों का दलन कराना है,
अर्जुन का मोह भगाना है,
फिर गीता संदेश सुनाओ ना।
अधर्म से धारा बचाने खातिर,
कान्हा मेरे घर आओ ना।
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अशोकशर्मा,कुशीनगर उ.प्र.
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