काटो की आवाज
लिखने चला मैं ज़ब फूलो से राहो को
काटो ने अपनी कहानी सजा दी
बढ़ा ज़ब मैं काटो को हटाने
चुभ कर अपनी निशानी बना दी
पता चला ज़ब हमें अपनी कहानी का बारिश में
काटो ने अपनी दास्ताँ साथ साथ होने की बता दी
गम के आशू में ख़ुशी की लकीर दौड़ा दी
हसी लिखी और ख़ुशी की बारिश रचा दी
महका दिया जिंदगी के पलो को काटो ने
खुद को चुभोकर हमें सौरत की दुआ दी
कभी सहकर बरसात की बूंदो को
कभी साया ना ओलो की तस्वीरो से
खुद का खौफ दिखाकर सह लेता है जो हर दुःख
ऐसे ही पीरो को समेट लेता है व्यक्ति गंभीर लकीरो से
#देव