काजल
बाल कहानी- काजल
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काजल पढ़ने में बहुत अच्छी थी। वो प्रतिदिन विद्यालय जाती थी। वह कक्षा- 5 की छात्रा थी। एक दिन विद्यालय से आते समय कुछ अन्जान लोगों ने काजल से कुछ पूछताछ की। उसके बाद एक गाँव का नाम बताते हुए कहा-, “बताओ! यह गाँव कहाँ पर है?” काजल ने उत्तर देते हुए कहा-, “यही हैं ये गाँव।”
काजल का जवाब सुनते ही वे अन्जान लोग हँसने लगे। उसके बाद काजल ने देखा कि उसके सभी सहेलियाँ आगे बढ़ गयी हैं, तो काजल भी दौड़कर उन सबके साथ ही चल दी। घर जाते ही काजल ने सारी बात अपने माँ को बतायी। काजल के पिता के घर आते ही काजल की माँ ने कहा-, “काजल के पिता! अब काजल बड़ी हो गयी है। कोई रिश्ता देखकर इसका विवाह कर दीजिये। आज कुछ लोगों ने काजल को रास्ते में रोका है।”
इस तरह से एक छोटी सी बात बहुत बड़ी बन गयी और काजल की पढ़ाई छूट गयी। काजल का विवाह पास के गाँव के जमीदार के लड़के से तय हुआ।
विवाह की तैयारियाँ आरम्भ हो गयीं। विवाह का कार्ड विद्यालय तक पहुँच गया। सभी लोग विवाह की तैयारी में जुटे थे। काजल का मन विद्यालय जाने के लिए लगा था। वह हाथ में बस्ता और आखों में आँसू लिये अपने पिताजी के पास पहुँच गयी और कहने लगी-, “पिताजी! विद्यालय जाने दीजिये। मुझे अभी पढ़ना है। बड़े होकर कुछ बनना है।”
इससे पहले की काजल के पिता कुछ बोलते। काजल की अध्यापिका, जो अभिभावक सम्पर्क के लिए आयी थी, बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने एवं जागरूकता अभियान कार्यक्रम के तहत वह बोल उठी-, “काजल सही कह रही है। आपसे निवेदन है। बाल विवाह अपराध है। आप ये अपराध न करें। काजल की उम्र पढ़ने की है। आप उसे पढ़ने के लिए विद्यालय भेजें।”
काजल के अभिभावक को बात समझ में आ गयी। उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने काजल को साइकिल पर बैठाया और स्वयं विद्यालय छोड़ने गये।
शिक्षा-
हमें बच्चियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए। तभी वह दूसरी जगह निर्भीकतापूर्वक रह पायेंगीं।
शमा परवीन बहराइच उत्तर प्रदेश