कागा केंद्रित पद
(१)
सखी री पहुँन भये पिया
कागा जब जब गाये अटरिया, आते तबहि पिया
रात न बोलें, न बतराबें, तडफत रहत जिया
अँधियारा गहराए के पहिले, सोबत रख तकिया
रहें दिन चार ज्यों अतिथि, बालत रहत दिया| सखी री …..
(२)
सखी री कागा भये बेईमान
सुबह सुबह कागा ने छत से, छेड़ी अपनी तान
कांव कांव कर बता गये कि, आने को मेहमान
अतिथि देव के स्वागत खातिर, जुटी हमारी जान
परिचय बता शाम को आये, रात भागे ले सामान| सखी री ….
(३)
सखी री कागा गए परदेस
ऊपर लिखा हुआ पद पढकर, भर कर मन आवेश
हुए इकट्ठे निर्णय करने, पिघलने को ठेस
पहन अतिथि का चोला, घर करते चोर प्रवेश
न हों जाति बदनाम, उन्होंने छोडा अपना देश| सखी री ….