कागज की कश्ती
कौन गया और ये कौन आया
दुनियां फानी यही समझ पाया
आइना क्या दिखाएगा सूरत
मेरी आंखो मे देख लो साया
थोड़ा प्यार हमें भी करने दो
गुनाह होगा उन्होने समझाया
सुख तलाशता रहा उम्र भर
पीछे देखा तो दुख की छाया
कागज की कश्ती पे सवारी है
पार उतरेंगे ये मन भरमाया
मनव्यथा से दहलती छाती
अनकहा अनगढ़ मर्म शर्माया
मानव जीवन मे बसे अंधेरे को
दूर कर पाऊं सोंच मन हर्षाया
अंधेरे उजाले मे बदल जायेंगे
शुक्रिया जिसने ये समझाया
गुमान तूफां डुबोएगा कश्ती
ये हमको साहिल पे ले आया
स्वरचित
मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर