कागज-कलम
बस कागज कलम हि नही
मेरी तन्हाई का सुकून हो तुम
जो बातें कह नही सकता
उस खामोशी की ज़ुबान हो तुम
मैं पंक्षी की तरह हूँ
और मेरा आसमान हो तुम
उड़ता रहता हूँ तुम्हारी गिरफ्त में
मेरे इश्क का दर्द – ए – निशान हो तुम
तुम्ही तप, तुम्ही इबादत
मन्दिर का मंत्र , मस्ज़िद की अज़ान हो तुम
तुम्ही को लिखता हूँ तुम्ही को पढ़ता हूँ
मेरी गीता रामायण कुरान हो तुम
तुम मे आवाज़ है, चीख भी है
लोग कहते हैं बेजु़बान हो तुम
तुम बस कागज कलम हि नही
मेरा सुकून हो तुम