कांग्रेस की ढहती इमारत …
जब इमारत के निवासी मान चुके ।
इसका अंजाम भी वो जान चुके ।
छोड़ कर जा रहे है बारी बारी सभी ,
जो अंधकार इसके भविष्य का देख चुके ।
ना जाने इमारत का मालिक क्यों है अंजान,
उसे क्यों नहीं दिखता यह जर्र जर्र मकान ।
कुछ दिमकों ने ,कुछ जंग ने डेरा है जमाया ,
दिखने लगेगा थोड़े समय में ही खंडहर समान।
इसके युवराज की तो बात ही मत पूछिए ,
यह बड़बोलापन और अधूरा सामान्य ज्ञान ।
क्या छवि बनाता है मन में यह सोचिए ।
हम तो कहेंगे इसे साफ शब्दों में पागलपन।
ऐसे ” पप्पू “के हाथों में देंगे यह जागीर !
कितने अयोग्य है यह तो है जग जाहिर ।
विनाश ही होगा पुरखो की अमानत का ,
मगर यह समझते है खुद को यूं ही माहिर।
संस्कार ,संस्कृति और सभ्यता नींव में थी ,
वोह बिलकुल ही हिल चुकी है ।
देशभक्ति और समाज कल्याण की भावनाएं,
रंगहीन और चमक लगभग मिट चुकी है ।
बस ! अब यूं समझ लो इसका अंत आ चुका,
इसे बचाना अब बहुत ही कठिन होगा ।
ना मिला इसे यदि कुशल और योग्य नाविक ,
तो इस कश्ती का डूबना निश्चित होगा ।
योग्य ,कुशल और अनुभवी तो बहुत है इसमें,
मगर उनकी कोई कद्र ही नहीं ।
जाने किन परदों के पीछे छुपा रखा है उनको ,
जैसे उनका कोई अस्तित्व ही नहीं।
एक विदेशी महिला ,उसकी बेटी और बेटा ,
बस ! यही उस इमारत के मालिक हो गए।
यही तो है ” आला कमान” हां ! बस यही ,! ,
और बाकी तो इनके दास हो गए ।
यह दुर्भाग्य बदा था देखना इस इमारत का ,
जिसने अपने जीवन में सुनहरे दिन देखे ।
हाय ! कभी नहीं सोचा था इस अंजाम का ,
जो इसके प्रारब्ध की कलम ने लिखे ।