क़िस्मत
अब खोटे सिक्के भी उछाले जा रहे हैं खेल में,
हमें यूं बाहर कर दिया, क़िस्मत ने आजमा कर!!
शय-मात का सफ़र अमूमन तय कर लिया था,
ज़िंदगी ने एक मौक़ा दिया बहुत कुछ सिखाकर!!
इश्क़ को लोग ज़िंदगी की पहली सीढ़ी कहते हैं,
पहली सफ़ से निकाल दिया मुझे रस्ता दिखाकर!!
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डॉ. शशांक शर्मा “रईस”