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11 Apr 2022 · 1 min read

कह न पाई,सारी रात सोचती रही

कह न पाई सारी रात सोचती रही।
मै अपने जज्बातों को तोलती रही।।

तुमने कभी न सुना मुझको कभी।
मै तुमसे अपनी बात बोलती रही।

रास्ते में तुमने अकेला छोड़ दिया।
मै तुझे मुड़ मुड़ कर देखती रही।।

तुमने कभी राज ए दिल न खोला।
मैं ही राज ए दिल खोलती रही।।

उम्र का जब आखरी पड़ाव आ गया।
मै ही अपने दिल को नोचती रही।।

रस्तोगी और क्या लिखे दिल की बाते।
मै सोचता रहा,बस कलम लिखती रही।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

5 Likes · 3 Comments · 510 Views
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