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6 Jan 2017 · 1 min read

कही सचका फसाना…..

कही सचका फसाना चल रहा है,
कहीं झूठा जमाना चल रहा है,

मै शायर हूँ मेरा इक शायिरा से,
कहीं टाँका भिडा़ना चल रहा,

वो अफसर की जो जेबों मे पडा है,
वो मुफलिस का खजाना चल रहा है,

कहानी मे नए किरदार आए,
मेरा किस्सा पुराना चल रहा है.

दलीलें लाख झूठी हो रही हो,
मगर सच का फसाना चल रहा है.

फलक पर वो दिवानी चल रही है,
जमी पर यह दिवाना चल रहा है.

सनम तेरी दिखाई राह पर अब,
तेरा आशिक दिवाना चल रहा है.

तेरे पीछे सनम मैं चल रहा हूँ,
मेरे पीछे जमाना चल रहा है.

©निशान्त माधव

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