कही फिसल न जाऊ,तेरे ख्यालो में चलते चलते –आर के रस्तोगी
कही फिसल न जाऊ,तेरे ख्यालो में चलते चलते |
अपनी यादो को रोको,कही मर न जाऊ रोते रोते ||
मत आया करो मेरे ख्यालो में,ये बारिश का मौसम है | |
हर बूँद में तुझको ही पाता हूँ,इस बारिश के होते होते ||
बारिश हो रही थी बाहर,वह भीग रही थी मुझमे |
मैंने भी दिल दे दिया उसको,राहो में चलते चलते ||
सोच था हमने,इस बारिश में याद न करगे तुमको |
जब भीग जाता हूँ मै,तुम याद आ जाती सोते सोते ||
बारिश के मौसम में,घटाओ को कौन रोक पायेगा ?
बरस जाते है ये बादल,तेरी ही जुल्फ खुलते खुलते ||
ये बारिश,ये हसीं मौसम और ये महकती हवायें |
रस्तोगी न रोक पाया कलम को,ये लिखते लिखते ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम मो 9971006425