कहीं पे तो होगा नियंत्रण !
कहीं पे तो होगा नियंत्रण !
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सोचता रहता हूॅं मैं ये हरदम…
कि ‘कहीं पे तो होगा नियंत्रण’!
जिधर अपनी नज़रें घुमाओ…
उधर ही हो रही कुछ अनबन!!
हो भी क्यों नहीं ये अनबन….
हर किसी का अपना तन मन !
जिसे जो भी करता जब मन…
उस बात पे वो ले लेता है प्रण!!
खुद को सब समझता है ज्ञानी ,
जिस किसी ने बात कोई ठानी ,
वहीं से शुरू हो जाती कहानी ,
कभी शैतानी या कुछ मनमानी!!
किसके दिल में क्या है कौन जाने ,
हज़ार तरह के ढूंढते हैं वो बहाने…
खुद के नफ़ा नुकसान को देखकर ,
खिलाते रहते गुल बनाते अफ़साने!!
लोग नक़ाब लगा लगाकर घूमते हैं,
अपना सस्ता शिकार रोज़ ढूंढते हैं,
विभिन्न हथकंडों को वे अपनाते हैं ,
बस, अपना उल्लू सीधा करवाते हैं!!
सर्वत्र कुछ ना कुछ अराजकता है ,
ग़लत सोच की आज व्यापकता है ,
कहाॅं गई वैदिक सभ्यता संस्कृति…
किसी को न कोई समझा सकता है!!
जो जैसे जिसे चाहे ठगते जाते हैं ,
आवारापन की हद करते जाते हैं ,
किसी मासूम को शिकार बनाकर ,
अगला निशाना तय करते जाते हैं!!
छल-कपट, ईर्ष्या-द्वेष के बलबूते ,
उन्नति के शिखर पे चढ़ते जाते हैं !
ग़लत राह पे होती जो कोई अनबन,
तो अपने हाथ मलते ही रह जाते हैं!!
ज़िंदगी अपने हिसाब से वे जीयेंगे ,
कोई भी इनके रास्ते में नहीं पड़ेंगे ,
समाज के नियम कानून वो तोड़ेंगे ,
भ्रष्ट आचरण को संस्कार समझेंगे!!
नियंत्रण कैसे करें इन बुरी चीज़ों पे ,
कैसे पानी फेरा जाए ग़लत मंसूबों पे !
काबू पा सकते हम बेहूदी हरकतों पे…
जो हर कोई इसे अपना दायित्व समझें!!
© अजित कुमार “कर्ण” ✍️
~ किशनगंज ( बिहार )
@सर्वाधिकार सुरक्षित।
( #स्वरचित_एवं_मौलिक )
दिनांक :- 24 / 07 / 2022.
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