कहीं कुछ कमी सी है
हवा में सरसराहट कम है
धूप में गरमाहट कम है ,
होली में फगुआहट कम है
दिवाली में जगमगाहट कम हैं ,
चूड़ियों में खनखनाहट कम है
पायलों में छनछनाहट कम है ,
फूलों में खुशबूआहट कम हैं
भँवरो में गुनगुनाहट कम हैं ,
पैसों में खनखनाहट कम है
मँहगाई में नरमाहट कम है ,
लेखनी में सच्चाहट कम है
अखबार में लिखावट कम है ,
अमीरों में हनकाहट कम है
गरीबों में दिखावट कम है ,
राजनिति में कर्माहट कम है
जनता में जोशाहट कम है ,
अपनों में अपनाहट कम है
रिश्तों में शर्माहट कम है ,
नसों में झनझनाहट कम है
खून में सरसराहट कम है ,
एहसास में जज़्बाहट कम है
प्यार में फिक्राहट कम है ,
यही कुछ कमी सी है
कहीं कुछ कमी सी है !!!
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 30/01/18 )