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4 Jul 2020 · 1 min read

कहीं कुछ कमी सी है

हवा में सरसराहट कम है
धूप में गरमाहट कम है ,

होली में फगुआहट कम है
दिवाली में जगमगाहट कम हैं ,

चूड़ियों में खनखनाहट कम है
पायलों में छनछनाहट कम है ,

फूलों में खुशबूआहट कम हैं
भँवरो में गुनगुनाहट कम हैं ,

पैसों में खनखनाहट कम है
मँहगाई में नरमाहट कम है ,

लेखनी में सच्चाहट कम है
अखबार में लिखावट कम है ,

अमीरों में हनकाहट कम है
गरीबों में दिखावट कम है ,

राजनिति में कर्माहट कम है
जनता में जोशाहट कम है ,

अपनों में अपनाहट कम है
रिश्तों में शर्माहट कम है ,

नसों में झनझनाहट कम है
खून में सरसराहट कम है ,

एहसास में जज़्बाहट कम है
प्यार में फिक्राहट कम है ,

यही कुछ कमी सी है
कहीं कुछ कमी सी है !!!

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 30/01/18 )

Language: Hindi
4 Likes · 4 Comments · 581 Views
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