Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Sep 2016 · 1 min read

कहीँ में रख लूँ इस दिल को छुपा के,

कहीँ में रख लूँ इस दिल को छुपा के,
कुछ ऐसा लग रहा है तुझसे नजरें मिलाके!
गर हो गयी मुहब्बत तो कह भी न सकूँगा,
दर्द तेरा ले जाये न इस दिल को चुरा के..!
Yashvardhan Goel

375 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Yashvardhan Goel
View all
You may also like:
भीष्म के उत्तरायण
भीष्म के उत्तरायण
Shaily
सत्य विवादों से भरा,
सत्य विवादों से भरा,
sushil sarna
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मेरी हास्य कविताएं अरविंद भारद्वाज
मेरी हास्य कविताएं अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
आओ एक गीत लिखते है।
आओ एक गीत लिखते है।
PRATIK JANGID
तुम बिन रहें तो कैसे यहां लौट आओ तुम।
तुम बिन रहें तो कैसे यहां लौट आओ तुम।
सत्य कुमार प्रेमी
तेरी आंखों की बेदर्दी यूं मंजूर नहीं..!
तेरी आंखों की बेदर्दी यूं मंजूर नहीं..!
SPK Sachin Lodhi
ଅନୁଶାସନ
ଅନୁଶାସନ
Bidyadhar Mantry
सादगी मुझमें हैं,,,,
सादगी मुझमें हैं,,,,
पूर्वार्थ
ज़िंदगी देख
ज़िंदगी देख
Dr fauzia Naseem shad
*मन के भीतर बसा हुआ प्रभु, बाहर क्या ढुॅंढ़वाओगे (भजन/ हिंदी
*मन के भीतर बसा हुआ प्रभु, बाहर क्या ढुॅंढ़वाओगे (भजन/ हिंदी
Ravi Prakash
shikshak divas **शिक्षक दिवस **
shikshak divas **शिक्षक दिवस **
Dr Mukesh 'Aseemit'
आजादी का पर्व
आजादी का पर्व
Parvat Singh Rajput
* ये शिक्षक *
* ये शिक्षक *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आंखों की नदी
आंखों की नदी
Madhu Shah
"डंकिनी-शंखिनी"
Dr. Kishan tandon kranti
तेवरी इसलिए तेवरी है [आलेख ] +रमेशराज
तेवरी इसलिए तेवरी है [आलेख ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
किसी का कुछ भी नहीं रक्खा है यहां
किसी का कुछ भी नहीं रक्खा है यहां
Sonam Puneet Dubey
"दुखती रग.." हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
श्री श्याम भजन
श्री श्याम भजन
Khaimsingh Saini
सज गई अयोध्या
सज गई अयोध्या
Kumud Srivastava
बेचारा प्रताड़ित पुरुष
बेचारा प्रताड़ित पुरुष
Manju Singh
शुभ दिवस
शुभ दिवस
*प्रणय*
समुन्दर को हुआ गुरुर,
समुन्दर को हुआ गुरुर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
झाग की चादर में लिपटी दम तोड़ती यमुना
झाग की चादर में लिपटी दम तोड़ती यमुना
Rakshita Bora
* चाहतों में *
* चाहतों में *
surenderpal vaidya
बदलते मूल्य
बदलते मूल्य
Shashi Mahajan
4382.*पूर्णिका*
4382.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हर किसी पर नहीं ज़ाहिर होते
हर किसी पर नहीं ज़ाहिर होते
Shweta Soni
"दिल दे तो इस मिजाज का परवरदिगार दे, जो गम की घड़ी भी खुशी स
Harminder Kaur
Loading...