कहा फूल ने ………
कहा फूल ने ………
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पूछा फूल से,बिखरने के लिए खिलती क्यों है ?
तोड़ लेता माली , तुझे फिर तू हँसती क्यों है ?
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फूल ने हँसते हुए कहा ,तुम भी मुझे पाकर
खुशी खुशी , फिर गीत गुनगुनाती क्यों है ?
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शब्द मेरे कहीं खो गए,नि:हशब्द मैं हो गई,
सच में तोड़कर फूल, हँसी हमें आती क्यों है ?
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दर्द होता होगा फूल को यह जानते हुए भी ,
बार बार फूल तोड़ना हमें इतनी भाती क्यों है ?
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मेरी चुप्पी तोड़ती हुई,वो मुझे समझाने लगी
कहो “त्याग” नारी को इतनी सुहाती क्यों है?
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सच यही है “पूनम” औरों की खुशी के लिए
पीते हैं अश्क,देखो शबनम सूख जाती क्यों है ?
@पूनम झा । कोटा,राजस्थान।
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