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24 Jul 2024 · 1 min read

कहा जाता है

कहा जाता है
मोह माया में कुछ नहीं रखा
अगले ही पल
हम मोहपाश कुछ इस तरह
जकड़ जाते हैं
सब नीरस लगने लगता है
उम्र का एक पड़ाव
ऐसा भी होता है
जब, मन की उलझन
और नज़र का धुंधलापन
मिलकर अजीब माया रचते हैं
जहाँ सपने हताश लगते हैं
हक़ीक़त की मार से
तब प्रेम की अनुभूति
संजीवनी का कार्य करती है
और, प्रेम मिलता नहीं
फ़िर,
वही नीरसता, वही अकेलापन
पुरानी यादें, खोया क्या
पाया क्या का अंकगणित
फ़िर वही मोह, वही माया
ये तिलिस्म यूँ ही बना रहता है
उम्र गुज़रती रहती है…

हिमांशु Kulshrestha

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