Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Feb 2024 · 1 min read

कहाॅ॑ है नूर

कहाॅ॑ है नूर कहाॅ॑ अब नूर-ए-जिंदगी है
हद हो चुकी है पार हया न शर्मिंदगी है
रोज होते हैं उपवास और रोज़े यहां पर
मगर न तो खुदा न खुदा की बंदगी है—कहाॅ॑ है नूर
लोग जाते हैं मंदिर मस्जिद चर्च गुरुद्वारे
इंसानियत छुपाए भटकते मजहबी सारे
भड़कते हैं दंगे फसाद धर्म के नाम पर
होती जगह-जगह ये कैसी दरिंदगी है—कहाॅ॑ है नूर
औलाद के लिए माॅ॑ बाप ये कष्ट उठाते हैं
बड़े होकर माॅ॑-बाप को ये दिन दिखाते हैं
शादी रचा लेते हैं वो घरों से भागकर
उन्हें क्या माॅ॑-बाप झेलते शर्मिंदगी है—कहाॅ॑ है नूर
देखो मयखानों में भीड़ लगती है बहुत
हर मुहल्ले में महफिलें सजती है बहुत
नशे का आदी हो रहा हर नौजवाॅ॑ पर
इसी में खुश उनकी यही तो जिंदगी है—कहाॅ॑ है नूर
‘V9द’ आज हो रहा कैसा व्यवहार है
न खातिरदारी है अब न शिष्टाचार है
मेहमानवाजी में सभी व्यस्त हैं मगर
रिश्ते-नातों में कहाॅ॑ अब संजीदगी है —कहाॅ॑ है नूर

2 Likes · 133 Views
Books from VINOD CHAUHAN
View all

You may also like these posts

दौड़ते ही जा रहे सब हर तरफ
दौड़ते ही जा रहे सब हर तरफ
Dhirendra Singh
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बच्चे पढ़े-लिखे आज के , माँग रहे रोजगार ।
बच्चे पढ़े-लिखे आज के , माँग रहे रोजगार ।
Anil chobisa
कहना तुम ख़ुद से कि तुमसे बेहतर यहां तुम्हें कोई नहीं जानता,
कहना तुम ख़ुद से कि तुमसे बेहतर यहां तुम्हें कोई नहीं जानता,
Rekha khichi
दर्द ....
दर्द ....
sushil sarna
गंगा (गीत)
गंगा (गीत)
Dr Archana Gupta
कैसे कहूँ किसको कहूँ
कैसे कहूँ किसको कहूँ
DrLakshman Jha Parimal
बाबू
बाबू
Ajay Mishra
சிந்தனை
சிந்தனை
Shyam Sundar Subramanian
कुर्बतों में  रफ़ाकत   थी, बहुत   तन्हाइयां थी।
कुर्बतों में रफ़ाकत थी, बहुत तन्हाइयां थी।
दीपक झा रुद्रा
बेवफ़ा जब हुए आँखों में बसाने वाले
बेवफ़ा जब हुए आँखों में बसाने वाले
आकाश महेशपुरी
कौरव दल का नाश
कौरव दल का नाश
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
कमजोर नहीं हूं मैं।
कमजोर नहीं हूं मैं।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
जो मुस्किल में छोड़ जाए वो यार कैसा
जो मुस्किल में छोड़ जाए वो यार कैसा
Kumar lalit
...........
...........
शेखर सिंह
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ६)
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ६)
Kanchan Khanna
मुक्त कर के बन्धन सारे मैंने जीना सीख लिया
मुक्त कर के बन्धन सारे मैंने जीना सीख लिया
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
दिल
दिल
Mamta Rani
दुर्मिल सवैया
दुर्मिल सवैया
Rambali Mishra
*
*"सिद्धिदात्री माँ"*
Shashi kala vyas
" रफूगर "
Dr. Kishan tandon kranti
Choose a man or women with a good heart no matter what his f
Choose a man or women with a good heart no matter what his f
पूर्वार्थ
"उसकी यादें"
ओसमणी साहू 'ओश'
KAMAAL HAI YE HUSN KI TAKAT
KAMAAL HAI YE HUSN KI TAKAT
Sarv Manglam Information technology
सबके राम का संदेश
सबके राम का संदेश
Sudhir srivastava
रातें भी कटी हैं करवट बदलते हुए,
रातें भी कटी हैं करवट बदलते हुए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Ikrar or ijhaar
Ikrar or ijhaar
anurag Azamgarh
विदाई - एक नई शुरुआत
विदाई - एक नई शुरुआत
Savitri Dhayal
*जिनको चॉंदी का मिला, चम्मच श्रेष्ठ महान (कुंडलिया)*
*जिनको चॉंदी का मिला, चम्मच श्रेष्ठ महान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
तेज धूप में वो जैसे पेड़ की शीतल छाँव है,
तेज धूप में वो जैसे पेड़ की शीतल छाँव है,
Ranjeet kumar patre
Loading...