कहानी हर दिल की
कहानी हर दिल की ,कौन समझ पाया है
किससे बात दिल की करें,हर कोई पराया है।
अपनी नाकामियों को तरतीब में जो रखे
जीवन में वही शख्स ,कुछ नया कर पाया है।
ये उदासियां क्यों ओढ़ रखी है तूने गोया
हर उदासी का हमने तो जश्न मनाया है।
बेवफाई के इतने मशहूर क़िस्से है जहां में
वफ़ा से आजतक कहां किसने निभाया है।
मानों तो हर दिल में होती है इक कब्रगाह
बस कभी कोई दो फूल चढ़ाने नहीं आया है।
सुरिंदर कौर