कहानी ज़िंदगी की मेरी
ये कैसी कहानी है
ज़िंदगी की मेरी
है मेरी जान सामने मेरे
लेकिन फिर भी
हो रही आज सांझ
जिंदगी की मेरी
जो चाहता था मैं
मिल गया आज मुझे
लेकिन बची नहीं सांसें
धड़कनों में मेरी
है ये कैसी विडंबना
ज़िंदगी की मेरी
चाहा जी भरकर उसे
चाहत का इज़हार किया
लेकिन उसने परवाह न की
बंदगी की मेरी
है ये कैसी विडंबना
ज़िंदगी की मेरी
थी इंतज़ार की घड़ियां
बहुत लंबी मेरी
बीत गए बरसों आज
हसरत थी उसे पाने की मेरी
है ये कैसी विडंबना
ज़िंदगी की मेरी
जा रहा हूं मैं आज
है वो मेरे सामने खड़ी
देख रही आंखों में
आंखें डालकर मेरी
है ये कैसी विडंबना
ज़िंदगी की मेरी
रहम कर मुझ पर
थोड़ा ए मौत मेरी
बक्श दे थोड़ी देर
ये ज़िंदगी मेरी
है मेरा प्यार सामने
जा रही जान मेरी
है ये कैसी विडंबना
ज़िंदगी की मेरी।।