कहां है मेरा उपवन
उपवन की अब बाते छोडो,
देखे नही हरयाली जी।
न बोले अब मोर पपीहा,
ना ही कोयल प्यारी जी।।
बाग वचीना सूखन लागे,
ना फूलो की क्यारी जी।
ना डाली चिडिया बैठे,
ना ही मैना प्यारी जी।।
उपवन ना बच्चे खेले,
ना गूँजे किलकारी जी।
ना माली प्यारी उपवन मे,
ना पानी की क्यारी जी।।
हरे रामा मेरे भगवन,
हरे कृष्ण मुरारी जी।
आओ मेरे भोले बाबा,
संग मे राधा प्यारी जी।।
उपवन मे तुम रास रचालो,
देखे दुनिया प्यारी जी।
कृष्णा की वाणी को सुनलो,
सारे जग के प्राणी जी।।
कृष्णकांत गुर्जर
धनौरा,तह-गाडरवारा(म.प्र.)