कहां चली कहां चली —– घनाक्षरी
कहां चली कहां चली,छोड़ मुझे कहां चली।
सुन सुन अलबेली,तू तो मेरी जान है।।
रुक रुक बात सुन, करे दिल गुनगुन।।
चुन चुन मुझे चुन,दिल ये कुर्बान है।।
तू जो चली जाएगी, तेरी तो याद आएगी।
न जान बच पाएगी,सुन ये ऐलान है।।
तेरा मेरा साथ रहे,संग संग दोनों रहे।
प्रीत रस में ही बहे,प्रेम का बखान है।।
राजेश व्यास अनुनय