” ———————————— कहां खो गया ” !!
वो आंखों का तारा कहाँ खो गया !
जो कल था हमारा कहां खो गया !!
दुनिया की नज़र काली उसको लगी !
वो सहारा हमारा कहां खो गया !!
ले आगोश में सच हम खुश थे बहुत !
वो अब करके किनारा कहां खो गया !!
वो रातों के तारे कड़ी धूप में!
यों बन के सहारा कहां खो गया !!
थी यादें सुहानी लगे शूल सी !
वो भोर का तारा कहाँ खो गया !!
फूल मुरझाये हैं गुमसुम है समां !
जो हंसी था नज़ारा कहां खो गया !!
अश्क़ आंखों के अब हैं थमते नहीं !
था सबसे जो प्यारा कहां खो गया !!
फिर मिलेगें अचानक किसी मोड़ पर !
वो करके ईशारा कहां खो गया !!
बृज व्यास