‘कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली’ कहावत पर एक तर्कसंगत विचार / DR MUSAFIR BAITHA
राजा भोज में क्या खासियत थी और गंगू तेली में कौन सी खराबी थी?
‘कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली’
-उपर्युक्त कहावत त्याज्य है। वैसे, उसके उपयोग के लिए एक राइडर है, अपवाद है जिसे मैं नीचे डिस्कस कर रहा हूँ।
इस कहावत का राजा अपर हैण्ड पा रहा है, हैसियत वाला है, जबकि गंगू तेली गरीब है, राजा के सामने में शून्य हैसियत का है, यह साफ संकेतित है।
जाहिर है, अमीरी के समर्थन और गरीबी के अपमान में कहावत किसी ने बनाई है। अमीरी का समर्थन एक तरह से जायज हो भी सकता है, यह तब जायज होगा जब ईमानदारी से अर्जित अमीरी होगी और इसके बरक्स असहायता एवं निरूपायता से उपजी गरीबी का मज़ाक़ न बनाया जाए, उसे हेय न समझा जाए।