Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 May 2020 · 1 min read

कहाँ गया बेदर्दी

******* कहाँ गया बेदर्दी *******
***************************

कहाँ गया बेदर्दी,मन को तड़फा के
कहाँ गया बेदर्दी,दिल को तरसा के

खुली हुई आँखो में ख्वाब सजाए थे
कहाँ गया स्वप्नकार स्वप्न दिखा के

मन मन्दिर में मेरी तस्वीर बनाई
कहाँ गया चित्रकार तस्वीर चुरा के

प्रेम सागर में खूब गोते लगाए
कहाँ गया स्नेही स्नेह को जगा के

तन मन मेरा प्रेमरंग में रंग गया
कहाँ गया रंगसाज रंगो में सजा के

चाँदनी रातों में चाँद दिखाता था
कहाँ गया चंद्राकर चन्द्रमा दिखा के

सुखविंद्र दुखदर्द स्वयं हर लेता था
कहाँ गया हमदर्दी रंज में डूबा के
***************************

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

2 Likes · 504 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

जब कोई महिला किसी के सामने पूर्णतया नग्न हो जाए तो समझिए वह
जब कोई महिला किसी के सामने पूर्णतया नग्न हो जाए तो समझिए वह
Rj Anand Prajapati
करवां उसका आगे ही बढ़ता रहा।
करवां उसका आगे ही बढ़ता रहा।
सत्य कुमार प्रेमी
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
मईया के आने कि आहट
मईया के आने कि आहट
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सहकारी युग का 11 वाँ वर्ष 1969 - 70 : एक अध्ययन
सहकारी युग का 11 वाँ वर्ष 1969 - 70 : एक अध्ययन
Ravi Prakash
छोटी कहानी -
छोटी कहानी - "पानी और आसमान"
Dr Tabassum Jahan
महात्मा ज्योतिबा राव फुले
महात्मा ज्योतिबा राव फुले
डिजेन्द्र कुर्रे
चाहे जितनी देर लगे
चाहे जितनी देर लगे
Buddha Prakash
3617.💐 *पूर्णिका* 💐
3617.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सनातन
सनातन
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
सुख मेरा..!
सुख मेरा..!
Hanuman Ramawat
जब तक आप जीवित हैं, जीवित ही रहें, हमेशा खुश रहें
जब तक आप जीवित हैं, जीवित ही रहें, हमेशा खुश रहें
Sonam Puneet Dubey
जज्बात
जज्बात
Mamta Rani
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-176 के श्रेष्ठ दोहे पढ़िएगा
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-176 के श्रेष्ठ दोहे पढ़िएगा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
- बाप व्यभिचारी बेटे लाचार -
- बाप व्यभिचारी बेटे लाचार -
bharat gehlot
संवेदना की आस
संवेदना की आस
Ritu Asooja
"फुरसतें सबके लिये जुटाई हमनें मग़र.,
पूर्वार्थ
वोट का लालच
वोट का लालच
Raju Gajbhiye
मैं मजदूर हूं
मैं मजदूर हूं
Krishna Manshi
"तू-तू मैं-मैं"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़म हमें सब भुलाने पड़े।
ग़म हमें सब भुलाने पड़े।
पंकज परिंदा
तेरी याद आती है
तेरी याद आती है
Akash Yadav
" अधरों पर मधु बोल "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
The new normal- Amidst the Pandemic
The new normal- Amidst the Pandemic
Deep Shikha
#शेर
#शेर
*प्रणय*
उसकी फितरत थी दगा देने की।
उसकी फितरत थी दगा देने की।
Ashwini sharma
``बचपन```*
``बचपन```*
Naushaba Suriya
* प्यार की बातें *
* प्यार की बातें *
surenderpal vaidya
बनारस की धारों में बसी एक ख़ुशबू है,
बनारस की धारों में बसी एक ख़ुशबू है,
Sahil Ahmad
मुखर-मौन
मुखर-मौन
Manju Singh
Loading...