Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Mar 2023 · 1 min read

*कहाँ गईं वह हँसी-मजाकें,आपस में डरते हैं (हिंदी गजल/गीतिका

कहाँ गईं वह हँसी-मजाकें,आपस में डरते हैं (हिंदी गजल/गीतिका )
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
(1)
कहाँ गईं वह हँसी-मजाकें, आपस में डरते हैं
बड़े अदब से नाप-तोल कर ,सब बातें करते हैं
(2)
मुँह से निकला शब्द, और उसने सौ अर्थ निकाले
इस ही डर से अपने मुँह पर ,सब उँगली धरते हैं
(3)
यों तो कहीं जीभ में कोई, हड्डी कब होती है
मगर इसी से ही बोले, थोड़े शब्द अखरते हैं
(4)
हीन भावनाएँ हैं जिनके मन में डेरा डाले
बिना वजह के रोजाना, केवल वही अकड़ते हैं
(5)
सदियाँ बीतीं लेकिन फिर भी, यह अभिशाप पुराना
लोग धर्म पर जीते कम हैं, ज्यादातर मरते हैं
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451

191 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
Never trust people who tells others secret
Never trust people who tells others secret
Md Ziaulla
""मेरे गुरु की ही कृपा है कि_
Rajesh vyas
रज़ा से उसकी अगर
रज़ा से उसकी अगर
Dr fauzia Naseem shad
*लक्ष्य सनातन देश, परम वैभव संपन्न बनाना【मुक्तक】*
*लक्ष्य सनातन देश, परम वैभव संपन्न बनाना【मुक्तक】*
Ravi Prakash
मन बैठ मेरे पास पल भर,शांति से विश्राम कर
मन बैठ मेरे पास पल भर,शांति से विश्राम कर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Just lost in a dilemma when the abscisic acid of negativity
Just lost in a dilemma when the abscisic acid of negativity
Sukoon
#दोहे
#दोहे
आर.एस. 'प्रीतम'
"दौर वो अब से जुदा था
*Author प्रणय प्रभात*
तुम इन हसीनाओं से
तुम इन हसीनाओं से
gurudeenverma198
सुप्रभातं
सुप्रभातं
Dr Archana Gupta
आप अपनी DP खाली कर सकते हैं
आप अपनी DP खाली कर सकते हैं
ruby kumari
मुँहतोड़ जवाब मिलेगा
मुँहतोड़ जवाब मिलेगा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"कमल"
Dr. Kishan tandon kranti
उम्र का लिहाज
उम्र का लिहाज
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
काश तु मेरे साथ खड़ा होता
काश तु मेरे साथ खड़ा होता
Gouri tiwari
मेरी शायरी
मेरी शायरी
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बूझो तो जानें (मुक्तक)
बूझो तो जानें (मुक्तक)
पंकज कुमार कर्ण
काश ! ! !
काश ! ! !
Shaily
पाया तो तुझे, बूंद सा भी नहीं..
पाया तो तुझे, बूंद सा भी नहीं..
Vishal babu (vishu)
दहलीज के पार 🌷🙏
दहलीज के पार 🌷🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
* विदा हुआ है फागुन *
* विदा हुआ है फागुन *
surenderpal vaidya
सियासत में
सियासत में
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
कई आबादियों में से कोई आबाद होता है।
कई आबादियों में से कोई आबाद होता है।
Sanjay ' शून्य'
हर एक अवसर से मंजर निकाल लेता है...
हर एक अवसर से मंजर निकाल लेता है...
कवि दीपक बवेजा
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet kumar Shukla
भूमि भव्य यह भारत है!
भूमि भव्य यह भारत है!
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
लोग महापुरुषों एवम् बड़ी हस्तियों के छोटे से विचार को भी काफ
लोग महापुरुषों एवम् बड़ी हस्तियों के छोटे से विचार को भी काफ
Rj Anand Prajapati
अफसोस मेरे दिल पे ये रहेगा उम्र भर ।
अफसोस मेरे दिल पे ये रहेगा उम्र भर ।
Phool gufran
एक हाथ में क़लम तो दूसरे में क़िताब रखते हैं!
एक हाथ में क़लम तो दूसरे में क़िताब रखते हैं!
The_dk_poetry
Loading...