कहर कुदरत का जारी है
गर्म हवाओं का कहते है कहर चल रहा है
लुटेरे बन यहाँ लुटे गए जंगल ,कहर कुदरत का जारी है
काँटे पेड़ यहाँ बनाए आशियान-ए-जहा तूने
जल रहे है आशियान-ए-जहा ,कहर कुदरत का जारी है
सूखती नदियां यहाँ सूखते नहर सूखे पड़े कुए तलब
गले सूखते जीव जन्तुओं के ,कहर कुदरत का जारी है
ठहर जाओ अभी ट्रेलर दिखा पिचर है बाँकी
दो-चार वर्ष में रिलीज होगी ,कहर कुदरत का जारी है
अभी सुनाई गई सजा थर्ड डिग्री है बाँकी
प्रकृति नाराज होगई तुमसे ,कहर कुदरत का जारी है
नीरज मिश्रा “ नीर “ बरही , कटनी मध्य प्रदेश