कसक
तुम बिन अब खुश रहते है,
दिल को अक्सर हम यह कहते है
जानते हो सच तुम भी और मैं भी
की इक दूजे से दूर कहां हम रहते है !
हाथ छूटे पर साथ न छूटा ,
टूटा हर रिश्ता पर दिल का बंधन न टूटा
इक टुकड़ा इधर रहा तो इक टुकड़ा उधर छूटा ,
सो बार सोचा मना लूँ
तुझे मुनहार से
पर तू रहा रूठा ,
कसक रही हमेशा की की भूल जाऊँ तुझे ,
पर न तू छूटा न तेरा ख्याल छूटा ,
तुझे भूलने की कोशिश में
मैं कई बार टूटा ,
मैं कई बार टूटा !!