कसक
ज़िंदगी में बस एक यही कसक रही; के न ही वो हमारे हुए, और न ही ख़्वाब मुकम्मल हुए, बहता पानी सा किरदार रहा मेरे जीवन का; मैं उनसे दूर और वो किसी और के हुए।
ज़िंदगी में बस एक यही कसक रही; के न ही वो हमारे हुए, और न ही ख़्वाब मुकम्मल हुए, बहता पानी सा किरदार रहा मेरे जीवन का; मैं उनसे दूर और वो किसी और के हुए।