कश्यप से है काश्मीर, नहीं बाप की थाती है
कश्यप से है काश्मीर, नहीं बाप की थाती है
ऋषियों की है कर्मभूमि, मेरी स्वर्ग सी घाटी है
ज्ञान और प्रज्ञा का उद्गम, रचना वेद पुराणों की
सारस्वत ऋषि की तपोभूमि, धरा पंडित परिवारों की
वैष्णो देवी क्षीर भवानी, गुफा बाबा बर्फानी की
शारदा मठ मार्तंड मंदिर, कथाएं पार्वती शिव शंकर की
रणजीत सिंह का शासन था, और डोगरा डायनेस्टी थी
आजादी के समय वहां, हरि सिंह की राजधानी थी
कश्मीर हथियाने को, पंडितों को मार भगाया था
आबादी का गणित बिगाड़ा, नेताओं ने किया कबाड़ा था
पाकिस्तान के पिट्ठू हैं, गुणगान उन्हीं का करते हैं
हिंदुस्तान का खाते हैं, पाकिस्तान पर मरते हैं
370 हटी है जब से, सीने पर सांप है लोट रहा
आज भी फारुख अब्दुल्ला, धारा 370 हटाने बोल रहा
किस मुंह से कहते हो तुम, यह कश्मीर हमारा है
नहीं बाप की बपौती, युग युग से इसे संवारा है
अपनी नादानी में तुमने, जन्नत को दोजक कर डाला
धर्म जात की आड़ में, कश्मीरियत को कुचल डाला
अब ना पालो मंसूबे धारा 35a बदल देंगे
370 के सपने को, फिर से सच कर लेंगे
रहें न रहें अब मोदी जी, यह मोदी की बात नहीं
भारत की अस्मिता मिटाना, किसीके बस की बात नहीं
लेकर रहेंगे पूरा कश्मीर, शंका में अब मत रहना
गिलगित बालटिस्तान भी लेंगे, धोखे में अब मत रहना
जय हिंद
सुरेश कुमार चतुर्वेदी