कश्मीर फाइल्स
‘समय समय पर मार दिया जाता है
कोई कश्मीरी पंडित
या कहो कि कश्मीरी हिन्दू
कश्मीर के मूल निवासी
जिन्होने सींचा अपने रक्त से
अपने परिश्रम से, संवेदना से
अपने ज्ञान से, अपने संस्कारों से
अपनी भूमि, वसुंधरा
धरती पर स्वर्ग का करिश्मा
उन्हीं का बहाया जा रहा खून
उन्हीं का छीन लिया बसेरा
उनका सब कुछ, उनका सकून
असहाय – से देखते आ रहे वह
कोई नहीं बचा पा रहा जीवन
खतरे में सांसे, वजूद
कब तक चलेगा यह सिलसिला
क्या उनकी शराफत और
इन्सानियत का
यही है सिला।
क्यों बन जाते हैं असहाय
आततायियों के समक्ष
कहां गई इन की शक्ति प्रत्यक्ष
खीर भवानी उठा ले
अपने हाथ में खंजर
शिव उतरो पहाड़ी से
भूल जाओ शांति का मंजर
त्रिशूल धारण का नहीं
वारण का कारण
जो बन रहे तुम्हारे पलायन का कारण
उनके पलायन का कारण
तुम बन जाओ
रखो उन्हें अपनी नोक पर
कश्मीर अपने नाम वापस कराओ।