कश्ती
जीवन एक कश्ती हैं
साँसों के है तार बँधे
ह्रदय वीडा के तार सा हैं
जीवन धारा मधुर संगीत हैं।
गीत एक भी पूर्ण गा न सकी
अफसोस रहा इस जीवन में
न जाने क्या करने आई थी
जीवन कश्ती में बैठ यहाँ।
जीवन भर ढोया मैने आशाओं को
फिक्र रही स्वांस चली धीरे धीरे
विश्वासो पर जीवन ढोया धीरे धीरे
जैसे हो गई कश्ती पर धीरे धीरे।
कुछ न मिला जीवन भर
वह सब झूठे नाते रिश्ते भर
जिसको ढोती आई मैं जीवन भर
जग रहा साथ अपनेही स्वार्थ भर।
भाव गीत जीवन कश्ती में
अफसोस मुझे मैं चढ़ न सकी
प्यार तुम्हारा पा न सकी
नैया पार तक लगा न सकी।
जीवन कश्ती में विफल निराशा
पर सोच सकी न ये विषम निराशा
आज समय बिता तो मिली निराशा
जीवन कश्ती का खेल ही निराशा।
जीवन कश्ती बैठ आज मैं
जीवन सरिता पर कर करुँगी मैं
प्यास बुझा अपने मन की मैं
जीवन कश्ती पार करुँगी।
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद