कशमकश..
बड़ी अजीब सी
कशमकश से रूबरू हूँ मैं
अल्फाजों में ही
बस समेट दूँ तुमको
या फिर रूह में अपनी उतार लूँ मैं
हिमांशु Kulshrestha
बड़ी अजीब सी
कशमकश से रूबरू हूँ मैं
अल्फाजों में ही
बस समेट दूँ तुमको
या फिर रूह में अपनी उतार लूँ मैं
हिमांशु Kulshrestha