कशमकश में जिंदगी
कशमकश में बढ़ रही है
जिंदगी आगे हर पल
कभी अनुभूति प्रेम की
कभी दिमागी हलचल
आज एक दिवस फिर गुजरा
कैसा रहेगा कल
परिश्रम और संघर्ष का
हमेशा मीठा होता है फल
साफ रखो गंगा यमुना
अन्यथा पाओगे न स्वच्छ जल
देश अब पुकार रहा है
कदम मिलाकर चल
जो बुरे वक्त में साथ दिया हो
उससे न कर कभी छल
जहां बुद्धिमता से काम हो जाए
वहां न दिखा बल
रंगत चाहे हो जैसा भी
स्वच्छ रखो ह्रदय तल
मुश्किल चाहे जितना हो प्रश्न
होता सभी का हल
नेता सारे एक जैसे
चाहे कोई भी हो दल
पानी का एक बूंद है किमती
खुला न रखो नल
स्वच्छता का ख्याल रखो
बाहर न करो मल
अच्छाई के पथ पर चलते जाओ
करो न कोई गल
रीता यादव