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29 Jun 2018 · 1 min read

कवि

कवि ही ऐसा प्राणी है जो, गागर में सागर को भरता
केवल वाणी के ही बल पर, सम्मोहित सारा जग करता,
सीधी, सच्ची, बातें कह कर, मर्म स्थल को वह छू लेता
आकर्षित हो जाते जन जन, भावों में भरती है दृढ़ता l

Language: Hindi
208 Views
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