कवि /लेखक /पत्रकार से
कवि/लेखक तुम भावुक हो ,
संवेदनशील भी हो ।
किन्तु प्रश्न है ।
अच्छी चीजें तुम्हें
आल्हादित क्यों नहीं करतीं।
विद्रूप अपवाद भी
तुम्हें बड़ा लुभाते हैं
पत्रकार तुम बुद्धिमान हो
और सत्यन्वेषी भी ।
तुमने भी मान लिया है ।
सच कड़वा ही होता है ।
और उस कड़वाहट को ,
और गलीज बनाकर
ऐसे समय परोसना है,
की देश और समाज में
जो कुछ मिठास बाकी है ,
मुंह छुपा के बैठे ,
या तिरोहित हो जाये ।