कवि कौन है?
कवि कौन है?
कवि कौन है ?
ये
कवि कौन है ?
राजनिति की बलि जो
चढते
भ्रष्टाचार की धुरी जो
मढते
गुलाम जो
बड़े बड़े घरों के
जो करते बखान दिन भर
कतार में झूके सरों के
गुलाम पैसे के
पल-पल व्यापार जो
लिखते
हालात पर मौन अपनी
गली गली जो
रद्दी में बिकते
मंच मिला नेताओं का
गला फाड़ फाड़ जो
चिल्लाते
पुछा सवाल जो भावों का
बताने से वो
कतराते
छपना छपाना चलता रहता
लालायित होकर
भाव अधुरा
संवेदनाओ का सागर
करता सब पूरा
मैं कवि नहीं एक
शख्स की कलम-सी
जुबान हूँ
मन की दशा पर लिखता
तो थोड़ा आसान हूँ
कलम उठे बस जोड़ने
के लिए
कईयों का भ्रम तोड़ने
के लिए
लिखता हूँ बस लिखता हूँ
मैं कभी कभी ही दिखता हूँ
हाँ बस लिखता हूँ
सवाल सुनकर मेरा
कई बोल रहे
कई मौन हैं
बस बता दो अब ये
कवि कौन है?
कवि कौन है ?
प्रवीण माटी