कवि का दिल बंजारा है
हर सू हसीन नजारा है,
कवि का दिल बंजारा है ।
चेहरे का दर्द पढ़ता है
गंगा-यमुना सा बहता है
हर जगह एहसास है
वो हर शय समझता है
खाये चोट मारा मारा है ,
कवि का दिल बंजारा है ।
जो आंखों से दिख जाता है
बेबाकी से लिख जाता है
ना करता चापलूसी वह
हालात से सीख जाता है
चमकता चांद सितारा है ,
कवि का दिल बंजारा है।
सच्चाई पर चलना सिखाये
समाज को आइना दिखाये
चिंता से चित्त जलने लगे
वक्त के साथ ढलना सिखाये
मीठी झील समुद्र खारा है
कवि का दिल बंजारा है ।
नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर