कविता
कविता
जब शब्द न मिले बोलने को
कुछ समझ न आये
क्याबोलू
क्या सोचु
क्या कहूँ
तब लिखकर जब अपने भाव
जो बने वो कविता ……
जब सामने कोई न हो
मन बहुत भारी हो
तब जो बने वो कविता
किसी को कल्पना में
एक कागज पर उतारना
तब जो बने वो कविता
कविता
जब शब्द न मिले बोलने को
कुछ समझ न आये
क्याबोलू
क्या सोचु
क्या कहूँ
तब लिखकर जब अपने भाव
जो बने वो कविता ……
जब सामने कोई न हो
मन बहुत भारी हो
तब जो बने वो कविता
किसी को कल्पना में
एक कागज पर उतारना
तब जो बने वो कविता