कविता
कविता भी होती सरल
जैसे जल होता तरल
पढ़ मन न होता विह्वल
दिल करे पढ़ने हर पल
मिलन हो जाता सरल
गर कविता न होती सरल
ओम् कैसे पाते
हर समस्या का हल
ओमप्रकाश भारती ओम्
बालाघाट मध्यप्रदेश
कविता भी होती सरल
जैसे जल होता तरल
पढ़ मन न होता विह्वल
दिल करे पढ़ने हर पल
मिलन हो जाता सरल
गर कविता न होती सरल
ओम् कैसे पाते
हर समस्या का हल
ओमप्रकाश भारती ओम्
बालाघाट मध्यप्रदेश