कविता
अ,आ,इ,ई न मात्र अक्षर
भेदे हर तह ये है वो सर
करते उन्नत जिनसे जीवन
यही तो है मंत्र अक्षर।1।
मोल इनका चुक न पाये
ऋण है इनका हर किसी पर
कहते इनको छोटे अक्षर
गूंजे उच्चारण से अम्बर ।2।
प्रथम अक्षर अ को पढते
आदि-अन्त जो शिव ही गढ़ते
सीखते हैं अंत मे ज्ञ
ज्ञान उत्तर सभी प्रश्न का ।3।
नहीं केवल स्वर या व्यंजन
इनमें जीवन की सभी धुन
समय अब न व्यर्थ खोये
चलें जग-जीवन संजोये ।4।
नमिता शर्मा