कविता
वसुंधरा
इस वसुंधरा को हम न इस तरह मिटायेंगे।
जन्म मृत्यु धात्री मातृ ऋण तो हम चुकाएंगे।
अन्न जल पवन ताप नदिया नग कानन ।
हीरे मोती संपदा जीव जंतु और जन।
स्वस्थ सुरक्षित शांति का चमन बनाएंगे ।1।
भक्ति का है स्रोत और शक्ति का आधार है।
जीवनी धरा है सहती सबही का भार है।
श्रष्टि है हमारे लिए हम इसे बचाएंगे।2।
पृथ्वी माता हमसे अगर अब ही रुठ जाएगी।
सांसो की गति समझो तब ही टूट जाएगी।
आज अगर जागे ना कल ना देख पाएंगे ।3।
नमिता शर्मा