कविता
* मंगलकामना *
करते हैं मंगलकामना,
प्रभु देश और संसार की।
एक निरोगी और सुखी,
सब तरफ घर-परिवार की।
हो मुसीबत की घड़ी तो
धैर्य साहस टूटे न,
होंसले संयम का दामन
एक पल भी छूटे न,
संकटो से फिर निकल हो,
जिंदगी गुलजार की।
करते हैं मंगल कामना
प्रभु देशऔर संसार की।।
ये प्रकृति कहती थी हमसे,
सर्व शक्ति हैं हम,
मूर्ख थे समझे नहीं,
न हो सका अभिमान कम,
सांस रुकती कथा सुनकर
चीख और चीत्कार की।
करते हैं मंगल कामना
प्रभु देश और संसार की।।
विश्व उबरे संकटो से
करते समर्पित प्रार्थना,
मांगते माँफी कि समझो
इस हृदय की वेदना,
रोक दो अब आपदा
सब गल्तियाँ स्वीकार की।
करते हैं मंगलकामना
प्रभु देश और संसार की।।
नमिता शर्मा