कविता
सजाओ (मुक्तक)
सजाओ प्रेम को इतना जगत सारा गमक जाये।
हृदय में पुष्प की वर्षा चमन का उर महक जाये।
उदासी भाग जाएगी मनोहर दृश्य गायेगा।
सुनहरा पल सहज चहके दिवाना प्रीति रस पाये।
महकने का इरादा ले सकल जगती यहाँ आये।
सहज चूमे सदा धरती उमड़ कर गीत मधु गाये।
बहाने स्नेह के आँसू यहाँ बादल दिखे हँसते।
लगे नित प्रीति का मेला हृदय दूल्हन सा खिल जाये।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।