कविता
आईने..
बरसो से जड़े हैं…
तेरे घर में जो आईने
उनका खयाल करना
उनमें तेरे हर दौर की शक्ल है..
उन्होंने तेरी शक्ल को
संवारा है..
हर दाग को मिटाया है..
पंकज शर्मा..
आईने..
बरसो से जड़े हैं…
तेरे घर में जो आईने
उनका खयाल करना
उनमें तेरे हर दौर की शक्ल है..
उन्होंने तेरी शक्ल को
संवारा है..
हर दाग को मिटाया है..
पंकज शर्मा..