कविता
शुभांगी छंद
आते हो तुम,पहले मन में,दिल में भरते,किलकारी।
करते रहते,बात मनोरम,अतिशय मोहक,हितकारी।।
जब तुम आते,मन को भाते,दिल बहलाते, सुखकारी।
तेरे जैसा,मिलना दुर्लभ,प्रिय कल्याणी,शिवकारी।।
शिव मनमोहन,शुभ संबोधन,प्रीति निर्मला,मनभावन।
शुद्ध सरोवर,सत्व धरोहर,सभ्य मनोहर,मधु पावन।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।