कविता
और दर्द दो
तुम मुझे
और दर्द दो
और ज़ख्म दो
और दो पीड़ा
ये तो तुम्हें लगता है…
कि तुम दर्द दे रहे हो
ज़ख्म दे रहे हो
असल में
हर दर्द के साथ
देते हो मुझे
तुम एक कविता भी…
मंजूषा मन
और दर्द दो
तुम मुझे
और दर्द दो
और ज़ख्म दो
और दो पीड़ा
ये तो तुम्हें लगता है…
कि तुम दर्द दे रहे हो
ज़ख्म दे रहे हो
असल में
हर दर्द के साथ
देते हो मुझे
तुम एक कविता भी…
मंजूषा मन