कविता
कविता
–++ क्षेत्रपाल
हम तलवार थे,
हो गये म्यान।
मोहिनी-
तेरी मुस्कान।।
आहट सुन
खड़े हों कान।
हर मुहाने
तुम्हारा ध्यान।।
चिंतन में-
कैसे हो कल्याण।
दुहाई ,
हे भगवान।।
आप (परमात्मा)की
ऊं ची दुकान।
हमारे (शरीर)
फीके पकवान।।
(पता 19/17,शान्ति पुरम, सासनी गेट आगरा रोड अलीगढ़ 202001)