हे माँ जानकी !
हे माँ जानकी !
आज तुम्हारे रघुवर ने
तुम्हारे साथ हुए छ्ल का
प्रतिकार ले लिया ।
तुम्हारे प्रति प्रेम व निष्ठा का
उदाहरण प्रस्तुत कर दिया।
आज भयानक रात्रि के अंधेरे
तुम्हारे राम से तिरोहित हुए हैं ।
आज तुम्हारी प्रतीक्षा पूर्ण हुई ।
तुम्हारे राम आए भी
और सब भव बंध काटकर
अब तुम्हें स्व संग ले जा रहे ।
माँ तुम्हारा विश्वास जीत गया ।
साथ ही हम भी समझ पाए कि
बुराई कितनी भी ताकतवर हो
अच्छाई से हार ही जाती है ।
गहरी से गहरी रात्रि का भी
अन्त भोर के उजाले से होता है ।
माँ मुझे सम्बल देना कि
तुम्हारी तरह, विकट परिस्थितियों में,
मैं शुचितापूर्वक तटस्थ रह सकूँ ।