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18 Sep 2022 · 1 min read

कविता

दिलों से तू नफरत हटाकर के देखो।
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दिलो से तू नफरत हटाकर के देखो।
दिए प्यार के तुम जलाकर के देखो।

तेरा जीना आसान हो जाए प्यारे,
दुखी को गले से लगाकर के देखो।

मुहब्बत में लेते नही, बांटा करते,
सही बात मनको बताकर के देखो।

कभी मुझसे मिलने बने लाजमी तो,
मेरे घर सनम आप आकर के देखो।

अगर खुश हुए जिन्दगानी बितानी,
कोई रोता हो जो,हंसाकर के देखो।

‘सुनीता’निभाती मुहब्बत का रिस्ता,
मेरे संग में रिस्ता निभाकर के देखो।

सुनीता गुप्ता कानपुर उत्तर प्रदेश।

Language: Hindi
133 Views
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